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Mere Usool..

मेरी ज़िंदगी में मेरे कोई उसूल नही है, बस यही मुझे कबूल नही है, मैं ऐसा ही सोचता हूं मैं क्या करूँ अब, कही बनाने वाले कि तो भूल नही है? -Taanism.

Bheetar-Bheetar

भीतर भीतर मचल रहा हूँ, रोज एक ख्वाब कुचल रहा हूँ, मुश्किल डगर है मालूम है मुझे, रोज गिर रहा हूँ, रोज संभल रहा हु। सुबह कमा रहा हूँ रात गवा रहा हूँ, अपनी उलझनों का मैं खुद गवाह रहा हूँ, बस कुछ सवालात है जेहन में मेरे, और लोग सोचते है मैं बदल रहा हूँ। ज़िंदगी आसान है बस जीना मुश्किल में है, कैसे समझाऊ सबको क्या मेरे दिल में है, किस किस से क्या क्या उम्मीद करु मैं अब, खैर अब मैं ही हूँ जो ढल रहा हूँ। दोस्तों ने वो दिया जो अपनो से ना मिला, तुम लोगो की संगत में मुरझाया फूल जा खिला, मेरी हस्ती ही क्या थी इस दुनिया में, यारों से ही शुरू हुआ मेरी जिंदगी का काफ़िला। ना जी पा रहा हु और न ही मर पा रहा हु, करना है बहोत कुछ मगर कुछ नही कर पा रहा हूँ, धीरे धीरे ही सही मगर चल रहा हूँ। नाम कमाऊ या दाम कमाऊ, या फिर कोई इनाम कमाऊ, चाहिए क्या ज़िंदगी से खुद परेशान हूं, शान कमाऊ या पहचान कमाऊ, कही टिकता नही, क्योंकि मन का थोड़ा चंचल रहा हूँ। -Taanism.

tum kaho ho...

तुमसे ना मिलु तो किधर जाऊ? तुम कहो तो बिखर जाऊ? तुमसे ना गिला करु तो किस से करु? तुम कहो तो मर जाऊ। -Taanism.

Bawal

अगर पेट का ये हाल ना होता, अगर अपनो का ख्याल ना होता, सच कहता हुँ दोस्तो, मेरा हर शब्द कोई सवाल ना होता, और तुम लोगो की ज़िन्दगी में कोई बवाल ना होता। -Taanism.

भीतर-भीतर

भीतर भीतर मचल रहा हूँ, रोज एक ख्वाब कुचल रहा हूँ, मुश्किल डगर है मालूम है मुझे, रोज गिर रहा हूँ, रोज संभल रहा हु। सुबह कमा रहा हूँ रात गवा रहा हूँ, अपनी उलझनों का मैं खुद गवाह रहा हूँ, बस कुछ सवालात है जेहन में मेरे, और लोग सोचते है मैं बदल रहा हूँ। ज़िंदगी आसान है बस जीना मुश्किल में है, कैसे समझाऊ सबको क्या मेरे दिल में है, किस किस से क्या क्या उम्मीद करु मैं अब, खैर अब मैं ही हूँ जो ढल रहा हूँ। दोस्तों ने वो दिया जो अपनो से ना मिला, तुम लोगो की संगत में मुरझाया फूल जा खिला, मेरी हस्ती ही क्या थी इस दुनिया में, यारों से ही शुरू हुआ मेरी जिंदगी का काफ़िला। ना जी पा रहा हु और न ही मर पा रहा हु, करना है बहोत कुछ मगर कुछ नही कर पा रहा हूँ, धीरे धीरे ही सही मगर चल रहा हूँ। नाम कमाऊ या दाम कमाऊ, या फिर कोई इनाम कमाऊ, चाहिए क्या ज़िंदगी से खुद परेशान हूं, शान कमाऊ या पहचान कमाऊ, कही टिकता नही, क्योंकि मन का थोड़ा चंचल रहा हूँ। -Taanism.